Friday, August 14, 2009
* पंचांग ...???????????? *
~आचार्य रंजन
पंचांग भारतीय - ज्योतिष का दर्पण माना जाता है । समय की विभिन्न इकाईयों संवत् , मास , पक्ष , तिथि , वारादि विधाओं में अभिव्यक्त करने का पंचांग एक मात्र सशक्त माध्यम है ।
प्राचीन काल में वैदिक , स्मार्त एवं गृहस्थी के सभी धार्मिक एवं सांकल्पिक अनुष्ठान आदि कृत्यों का मार्गदर्शन पंचांग के तिथ्यादी अंगों के द्वारा ही सिद्ध हुआ माना जाता था । इसी कारण काल रुपी ईश्वर के अंगभूत पंचांग ( तिथि , वार , नक्षत्र , योग एवं कारण )को नमस्कार किया जाता था । कृषि , व्यापार , होम - यज्ञादि , धार्मिक अनुष्ठानों को प्रारम्भ करने का काल का ज्ञान पंचांग द्वारा ही किया जाता रहा है । प्राचीन काल में पंचांग के पाँच अंग - १ तिथि , २ वार , ३ नक्षत्र , ४ योग , व ५ करण ही आवश्यक अंग माने जाते थे , परन्तु कालांतर एवं अर्वाचीन काल से पंचांग के आधुनिक स्वरुप में दैनिक ग्रह संचार एवं राशिः परिवर्तन , ग्रहण - विवरण , राशिफल , पर्व - त्योहार निर्णय , विवाह , मुंडन , गृह प्रवेश , गृह निर्माण , विपणि आदि मुहूर्त , भविष्यवानियाँ आदि विविध विषयों का समावेश किया जाने लगा है ।
note : " प्रत्येक प्रमाणिक पंचांग किसी स्थान - विशेष के अक्षांश - रेखांश पर आधारित होता है । उसमें स्थानीय सूर्योदय , सूर्यास्त , तिथि - वार - नक्षत्र - योगादि के घड़ी पल स्थानीय सूर्योदय के अनुशार दिए रहते हैं , परन्तु जहाँ तिथि , नक्षत्र एवं योगों आदि का मान घंटे - मिनटों में दिए गए हैं , वह भारतीय स्टैण्डर्ड टाइम के होने के कारण अखिल भारतोप्योगी होते हैं । "
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Labels: ज्योतिष
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