" ज्योतिष एवं वास्तु से सम्बंधित इस ब्लॉग पर आपको ' आचार्य रंजन ' का नमस्कार !! "

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Monday, August 10, 2009

* वर्ष २००९ के " श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत " का शास्त्रीय निर्णय ~

गत वर्ष की भांति इस वर्ष (२००९) भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रतादि का पर्व स्मार्त्त और वैष्णव भेद से दो दिन पड़ रहा है । स्मार्त लोग (सामान्य गृहस्थी ) अपनी कुल परम्परानुसार सप्तमी युक्ता मध्याह्न १२:५७ के बाद अष्टमी तिथ्यारम्भ अर्धरात्रि युक्ता कृतिका नक्षत्र , परन्तु मेष राशिस्थ योग में व्रत का आरम्भ , जप , पाठादी करके आगामी दिवस ( १४ अगस्त , शुक्रवार ) को व्रत का पारण एवं जन्मोत्सव मनाएंगे ।

वैष्णव संप्रदाय मतावलंबी १४ अगस्त , शुक्रवार के दिन ही ( उदय कालिक अष्टमी में ) व्रत का संकल्प , व्रत , जपानुष्ठान करके , मध्यरात्रि कालीन रोहिणी नक्षत्र , वृशस्थ चंद्रमा में व्रत , जपानुष्ठान एवं जन्मोत्सव मनाया जायेगा चूँकि वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े लोग उदयकालिक अष्टमी , जो की नवमी युता भी हो , उसी को प्राथमिकता देते हैं । - आचार्य रंजन , प्रोफेसर कोलोनी , बेगुसराय (बिहार)

* स्वयं सिद्ध मुहूर्त ~

-आचार्य रंजन
चैत्र शुक्ल-पक्ष प्रतिपदा , श्री रामनवमी , अक्षय - तृतीया , विजयादशमी एवं दीपावली - ये तिथियाँ 'स्वयं सिद्ध' या 'अन्न्पुछ' मुहूर्त कहलाती है। आवश्यक परिस्थितिवश गृहारंभ -आदि मुहूर्तों में कोई मुहूर्त न बन पड़े तो इन स्वयं - सिद्ध मुहूर्तों में से शुभ कार्यों का संपादन किया जा सकता है ।

* बच्चों के नामकरण का मूल आधार नक्षत्र *

-आचार्य रंजन
किसी बालक या बालिका का नामकरण बच्चे के जन्म नक्षत्र एवं उसके चरनानुसार रखने की परिपाटी भारत-वर्ष में रहा है । नक्षत्रों के चरण भी हिंदी वर्णमाला के अनुसार ही अभिव्यक्त किये जाते हैं , अर्थात नक्षत्र के जिस चरण पर बच्चे का जन्म होगा , उसी के अनुसार उसका नाम रखा जाता है ।

# नक्षत्र के चरनानुसार वर्णाक्षर #

१ -अश्वनी ----(मेष ) चू , चे , चो , ला

२- भरणी ----ली , लू , ले , लो

३- कृतिका ---अ ,(वृष ) इ, उ , ऐ

४- रोहिणी ---ओ , वा , वी , वू

५- मृगशिरा ---वे , वो ,(मिथुन ) का , की

६- आर्द्रा ---कू , घ , ङः , छ

७- पुनर्वसु ---के , को , ह , (कर्क ) हि

८- पुष्य ---हु , हे , हो , डा

९- आश्लेषा ---डी , डू , डे , डो

१०- मघा ---(सिंह) मा , मी , मू , मे

११- पूर्व-फाल्गुनी ----मो , टा , टी , टू

१२- उत्तरा-फाल्गुनी --टे , (कन्या ) टा , पा , पी

१३- हस्त ---पू , षा , ण , ठ

१४- चित्रा ----पे , पो , (तुला) रा , री

१५- स्वाति ----रू , रे , रो , ता

१६- विशाखा ----ती , तू , ते , (वृश्चिक ) तो

१७- अनुराधा ----ना , नी , नू , ने

१८- ज्येष्ठा ----नो , या , यी , यूं

१९- मूला ----(धनु) ये , यो , भा , भी

२०- पूर्वा-सादा ----भू , ध , फ , ढ

२१- उत्तरा-सादा ----भे , (मकर ) भो , जा , जी

२२- श्रवण ----खी , खू , खे , खो

२३- धनिष्ठा ----ग , गी , (कुम्भ ) गू , गे

२४- शतभिषा ----गो , सा , सी , सू

२५- पूर्वा -भाद्रपद --से , सो , दा , (मीन ) दी

२६- उत्तरा-भाद्रपद ---दू , थ , झ् , ञों

२७- रेवती ----दे , दो , चा , ची

नोट : किसी भी तरह के अस्मंजश्ता की स्थिति में निःसंकोच संपर्क कर सकते हैं ।
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