" ज्योतिष एवं वास्तु से सम्बंधित इस ब्लॉग पर आपको ' आचार्य रंजन ' का नमस्कार !! "

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Wednesday, March 18, 2009

* अंग्रेजी तिथि के अनुसार सूर्य की राशि जानें :*

SUN IN THE RASHI (In every year):

मेष : 14th अप्रैल - 13th मई
वृष : 14th मई - 13th जून
मिथुन : 14th जून - 13th जुलाई
कर्क : 14th जुलाई - 13th अगस्त
सिंह : 14th अगस्त - 13th सितम्बर
कन्या : 14th सितम्बर - 13th अक्टूबर
तुला : 14th अक्टूबर - 13th नवम्बर
वृश्चिक : 14th नवम्बर - 13th दिसम्बर
धनु : 14th दिसम्बर - 13th जनवरी
मकर : 14th जनवरी - 13th फ़रवरी
कुम्भ : 14th फ़रवरी - 13th मार्च
मीन : 14th मार्च - 13th अप्रैल
- आचार्य रंजन



Tuesday, March 17, 2009

* वास्तु दोषों का निवारण करती है गाय *

-आचार्य रंजन
जिस प्लाट पर भवन या घर का निर्माण करना हो यदि वहां पर बछड़े वाली गाय को लाकर बांधा जाए तो वहां संभावित वास्तु दोषों का स्वत: निवारण हो जाता है। कार्य निर्विघ्न पूरा होता है और समापन तक आर्थिक बाधाएं नहीं आतीं।
गाय के प्रति भारतीय आस्था को अभिव्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है। गो-सेवा को एक कत्र्तव्य के रूप में माना गया है। पशु रूप में गाय सृष्टिमातृका कही जाती है। गाय के रूप में पृथ्वी की करुण पुकार और विष्णु से अवतार के लिए निवेदन के प्रसंग बहुत प्रसिद्ध हैं।
‘समरांगण सूत्रधार’ जैसा प्रसिद्ध वृहद् वास्तु ग्रंथ गो रूप में पृथ्वी-ब्रrादि के समागम-संवाद से ही आरंभ होता है। वास्तुग्रंथ ‘मयमतम्’ में कहा गया है कि भवन निर्माण का शुभारंभ करने से पूर्व उस भूमि पर ऐसी गाय को लाकर बांधना चाहिए जो सवत्सा या बछड़े वाली हो।
नवजात बछड़े को जब गाय दुलारकर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिरकर उसे पवित्र बनाता है और वहां होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है। यही मान्यता वास्तुप्रदीप, अपराजितपृच्छा आदि में भी आई है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहां बैठकर निर्भयतापूर्वक सांस लेती है, उस स्थान के सारे पापों को खींच लेती है- निविष्टं गोकुलं यत्र श्वांस मुंचति निर्भयम्। विराजयति तं देशं पापं चास्याप कर्षति॥
गाय का घर में पालन करना बहुत लाभकारी है। ऐसे घरों में सर्वबाधाओं और विघ्नों का निवारण हो जाता है। बच्चों में भय नहीं रहता। विष्णु पुराण में कहा गया है कि जब श्रीकृष्ण पूतना के दुग्धपान से डर गए तो नंद दंपती ने गाय की पूंछ घुमाकर उनकी नजर उतारी और भय का निवारण किया। सवत्सा गाय के शकुन लेकर जाने से कार्य सिद्ध होता है।
पद्मपुराण, और कूर्मपुराण में कहा गया है कि कभी गाय को लांघकर नहीं जाना चाहिए। किसी भी साक्षात्कार, उच्च अधिकारी से भेंट आदि के लिए जाते समय गाय के रंभाने की ध्वनि कान में पड़ना शुभ है। संतान लाभ के लिए घर में गाय की सेवा अच्छा उपाय कहा गया है।
शिवपुराण व स्कंदपुराण में कहा गया है कि गो सेवा और गोदान से यम का भय नहीं रहता। गाय के पांव की धूली का भी अपना महत्व है। यह पाप विनाशक है, ऐसा गरुड़पुराण और पद्मपुराण का मत है।

साभार :-दैनिक भास्कर

Sunday, March 1, 2009

नक्षत्र वास्तु के यथार्थ को आत्मसात कर सुखमय जीवन जीना सीखें



ज्योतिष आपके जीवन के मार्ग को सुगम बनाती है एवं वास्तु द्बारा निर्मित भवन आपको सुख,शान्ति और समृद्धि प्रदान करती है।
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