रेवती , अश्विनी , आश्लेषा , मघा , ज्येष्ठा तथा मूला - ये "गण्डमूल- नक्षत्र " या "सताईशा नक्षत्र " कहलाते हैं । इन नक्षत्रों के विशेष चरण में उत्पन्न बालक / बालिका स्वयं अपने या माता - पिता के स्वास्थ्य , व्यवसाय एवं उन्नति आदि के सम्बन्ध में अशुभ होते हैं ।
गण्डमूल -नक्षत्र में उत्पन्न जातक के नक्षत्र की लगभग 27 दिन पश्चात उसी नक्षत्र में विद्वान् एवं योग्य ब्रह्मण द्वारा शांति करवानी चाहिए । यदि जन्म-काल के समय शांति न करवाई गयी हो तो , जातक के जन्म-दिन के निकट उसी नक्षत्र में दान-पूजन करवा लेना शुभ-कारक रहता है ।
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