गत वर्ष की भांति इस वर्ष (२००९) भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रतादि का पर्व स्मार्त्त और वैष्णव भेद से दो दिन पड़ रहा है । स्मार्त लोग (सामान्य गृहस्थी ) अपनी कुल परम्परानुसार सप्तमी युक्ता मध्याह्न १२:५७ के बाद अष्टमी तिथ्यारम्भ अर्धरात्रि युक्ता कृतिका नक्षत्र , परन्तु मेष राशिस्थ योग में व्रत का आरम्भ , जप , पाठादी करके आगामी दिवस ( १४ अगस्त , शुक्रवार ) को व्रत का पारण एवं जन्मोत्सव मनाएंगे ।
वैष्णव संप्रदाय मतावलंबी १४ अगस्त , शुक्रवार के दिन ही ( उदय कालिक अष्टमी में ) व्रत का संकल्प , व्रत , जपानुष्ठान करके , मध्यरात्रि कालीन रोहिणी नक्षत्र , वृशस्थ चंद्रमा में व्रत , जपानुष्ठान एवं जन्मोत्सव मनाया जायेगा चूँकि वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े लोग उदयकालिक अष्टमी , जो की नवमी युता भी हो , उसी को प्राथमिकता देते हैं । - आचार्य रंजन , प्रोफेसर कोलोनी , बेगुसराय (बिहार)
Monday, August 10, 2009
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